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मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
लेखक ने सुलेमान, नूह, प्रसिद्ध कवि शेख अयाज़ के पिता, अपनी माताजी इत्यादि के उदाहरण दिए हैं। लेखक के अनुसार आज के समय में ऐसे लोग नहीं हैं, जो दूसरे के दुख पर दुखी हो जाते हैं। आज के समय का मनुष्य स्वार्थी है। उसके स्वार्थ की हद है कि मुंबई में भयंकर तूफान आया। चारों ओर प्रकृति आपदाएँ बढ़ रही हैं।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
लेखक ने सुलेमान, नूह, प्रसिद्ध कवि शेख अयाज़ के पिता, अपनी माताजी इत्यादि के उदाहरण दिए हैं। लेखक के अनुसार आज के समय में ऐसे लोग नहीं हैं, जो दूसरे के दुख पर दुखी हो जाते हैं। आज के समय का मनुष्य स्वार्थी है। उसके स्वार्थ की हद है कि मुंबई में भयंकर तूफान आया। चारों ओर प्रकृति आपदाएँ बढ़ रही हैं।