Balgobin bhagat path se 5 saral ,5 mishra , 5 sakyut vakya nikaliye

प्रिय विद्यार्थी , 

आपके प्रश्न का उत्तर है - 
पाठ - बालगोबिन भगत 

सरल वाक्य - 
1. गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते । 
2. औरतें कलेवा लेकर मेंड़ पर बैठी हैं । 
3. वह हर वर्ष गंगा-स्नान करने जाते । 
4. कमली तो बार-बार सिर से नीचे सरक जाती । 
5. धान के पानी-भरे खेतों में बच्चे उछल रहे हैं । 

संयुक्त वाक्य - 
1. कमर में एक लंगोटी मात्र और सिर में कबीरपंथियों की-सी कनफटी टोपी । 
2. उनकी खंजड़ी डिमक-डिमक बज रही है और वे गा रहे हैं । 
3. सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओत-प्रोत है । 
4. अब बुढ़ापा आ गया था किन्तु टेक वही जवानीवाली । 
5. कुछ सुस्त और बोदा-सा था । 

मिश्र वाक्य - 
1. यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना । 
2. स्नान पर उतनी आस्था नहीं रखते , जितना संत समागम और लोक-दर्शन पर । 
3. वह चरम विश्वास जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है । 
4. जो कुछ पैदा होता , सिर पर लादकर पहले उसे साहब के दरबार में ले जाते । 
5. इस नियम को कभी-कभी इतनी बारीकी तक ले जाते कि लोगों को कुतूहल होता । 

आभार । 

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बालगोबिन भगत पाठ से पाँच सरल, पाँच संयुक्त और पाँच मिश्र वाक्य...

 

सरल वाक्य...

  1. बालगोबिन भगत मँझोले कद के गोरे चिट्टे आदमी थे।
  2. आषाढ़ की रिमझिम है।
  3. समूचा गाँव खेतों में उतर पड़ा है।
  4. भादों की अंधेरी अध-रतिया।
  5. बालगोबिन भगत की मौत उन्हीं के अनुरूप हुई।

 

संयुक्त वाक्य...

  1. लंबी दाढ़ी या जटा जूट तो नहीं रखते थे किंतु हमेशा उनका चेहरा सफेद बालों से ही जगमग किए रहता।
  2. वह कुछ सुस्त और बोदा सा था किंतु इसी कारण बालगोबिन भगत उसे और भी मानते।
  3. सिरहाने एक चिराग जला रखा है और उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं।
  4. अब बुढ़ापा आ गया था किंतु टेक वही जवानी वाली।
  5. स्नान पर उतनी आस्था नहीं रखते जितना संत समागम और लोक दर्शन पर।

 

मिश्र वाक्य...

  1. जब जाड़ा आता, एक काली कमली ऊपर से ओढ़े रहते।
  2. ऊपर की तस्वीर से यह नहीं माना जाए कि बाल गोविंद भगत साधु थे।
  3. कबीर के वे सीधे-साधे पद, जो उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते।
  4. कार्तिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुईं, जो फागुन तक चला करतीं।
  5. खाने-पीने के बाद भी तबीयत नहीं सुधरी, थोड़ा बुखार आने लगा।
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