can anyone tell me the meaning of this poem??????????? 

HiNeeru,
इस कविता में कवि ने प्रकृति की सुन्दरता का वर्णन किया है। पक्की हुई फसलें, चारों तरफ छाई हरियाली उस हरियाली पर गिरती सुरज की किरणें बहुत ही सुंदर लगती है। कवि को अरहर, सनई के सुनहरे पक्के हुए पौधें बहुत अच्छे लग रहे हैं। पीली सरसों के कारण वातावरण तैलाक्त गंध से भरा हुआ है। रंग-रंग के फूल खिले हुए हैं।  मटर, छेमी, उनमें सखियों-सी खेलती लग रही है। तरह-तरह के फुल खिले हुए हैं जिस पर मंडराती तितलियाँ मन को आकर्षित कर रही है। आम के पेड़ों पर चाँदी के समान मंजरियाँ लद गई हैं। ढाक और पीपल के पेड़ों से पुराने पत्ते झड़ गये हैं और उनके स्थान पर नये पत्ते आ गये हैं। कोयल मतवाली होकर गा रही है। जंगल में कटहल, जामुन झरबेरी आदि फल लगे हुए हैं। खेतों में आडू, नींबू, दाड़िम, , गोभी, बैंगन, मूली की बाहर आई हुई है। अमरूद और बेर भी पक गये हैं। आँवला पेड़ों पर लद गये हैं। खेतों पर पालक, धनिया, लौकी, सेम, टमाटर, मिर्च आदि उगे हुए हैं। नदी के किनारे बालू, साँप के समान प्रतीत हो रही है। सुरज की किरणें पड़ने से रेत सतरंगी लग रही है। नदी के किनारे तरबूजों की खेती फैली हुई है जो मन को हर रही है। बगुले पंजों से अपनी कलगी सवार रहे हैं। सुरखाब पानी पर तैर रही है और मगरौठी सोई हुई है। हरियाली जो हँसते हुए मुख के समान प्रतीत होती है। सर्दी में सुख की नींद में आलस के कारण सोई हुई है। तारे ऐसे प्रतीत होते हैं मानो सपनों में खोए हुए हैं। गाँव पन्ने से भरे डिब्बे-सा लग रहा है जिस पर आकाश फैला हुआ सा प्रतीत हो रहा है। बंसत के आने से प्रकृति ने सबका मन हर लिया है। 
 
आशा करती हूँ कि आपको, आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
यदि आप और अधिक जानना चाहते हैं तो आप इसके लिए हमारी सदस्यता (Member ship) ले सकते हैं। हमारी सदस्यता के लिए आप इन नम्बरों पर संपर्क करें 1-860-500556 या 011-40705070 ।
ढ़ेरो शुभकामनाएँ!
 

  • 1
What are you looking for?