Chapter jalao diye
Writer gopaldas niraj
प्रिय विद्यार्थी,
i)
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि दीपक जलाने का प्रोत्साहन दे रहा है। वह हर दिन को दीपावली जैसे उत्सव की तरह मानाने को प्रेरणा देता है। वह ज़िंदादिल व्यक्ति है, और चाहता है कि सभी दीपक की पंक्तियों से अपने घर-द्वार में उज्ज्वलता ले आएँ। अपने घर को रोशनी से सजाकर रखें और जीवन में नए अवसरों का दिल खोलकर स्वागत करें। जिस घर में उज्जवलता और सकरात्मता की ऊर्जा होगी, वहाँ कभी निराशा नहीं आएगी।
ii)
इन पंक्तियों में कवि अपने सन्देश को और स्पष्ट रूप से कह रहा है। उसका मानना है कि प्रसन्नता ऊपरी नहीं भीतरी होने चाहिए। केवल खुशियों का दिखावा करने से बात नहीं बनेगी। जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया बनाना पड़ेगा। प्रसन्न चित्त होने पर अकाल में भी व्यक्ति संतुष्ट रहेगा और उत्थान की ओर ही अग्रसर रहेगा।
आभार।
i)
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि दीपक जलाने का प्रोत्साहन दे रहा है। वह हर दिन को दीपावली जैसे उत्सव की तरह मानाने को प्रेरणा देता है। वह ज़िंदादिल व्यक्ति है, और चाहता है कि सभी दीपक की पंक्तियों से अपने घर-द्वार में उज्ज्वलता ले आएँ। अपने घर को रोशनी से सजाकर रखें और जीवन में नए अवसरों का दिल खोलकर स्वागत करें। जिस घर में उज्जवलता और सकरात्मता की ऊर्जा होगी, वहाँ कभी निराशा नहीं आएगी।
ii)
इन पंक्तियों में कवि अपने सन्देश को और स्पष्ट रूप से कह रहा है। उसका मानना है कि प्रसन्नता ऊपरी नहीं भीतरी होने चाहिए। केवल खुशियों का दिखावा करने से बात नहीं बनेगी। जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया बनाना पड़ेगा। प्रसन्न चित्त होने पर अकाल में भी व्यक्ति संतुष्ट रहेगा और उत्थान की ओर ही अग्रसर रहेगा।
आभार।