Do bailon Ki Katha Azadi ka Sanket deta hai
उत्तर: सभी स्वतंत्र होना चाहते हैं। प्रस्तुत कहानी की कथावस्तु भी इन्हीं मनोविचार पर आधारित है। यह कहानी अप्रत्यक्ष रूप से आजादी के आंदोलन से जुड़ी है। जैसे दोनों बैलों को कांजीहौस में कैद होना और गया के अधीन रहना पसंद नहीं था और दोनों उससे निकलने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाकर लड़ते हैं। इसके बाद उन्हें भूखे प्यासे भी रहना पड़ता है लेकिन वे अपनी आजादी के लिए संघर्ष को जारी रखते हैं। तो हमारे विचार में यह कहानी इन सब बातों से आजादी की ओर संकेत करती है।