Ek sanwad ya kahani likho jisme 5-10 muhavre ho
प्रिय छात्र
संवाद
अध्यापक- रोहन ! चलो पहाड़ा सुनाओ।
रोहन - सर! मगर..
अध्यापक - अगर-मगर मत करो, तुम तो सागर का दाहिना हाथ हो उसे तो सब आता है।
रोहन - नहीं सर।
अध्यापक - अरे तुम जिस दिन सुना दोगे मैं उस दिन गंगा नहा लूंगा।
रोहन- सर याद नहीं है।
अध्यापक- तुम बात के धनी नहीं हो, कल तो कहा था कि हम कल सुना देंगे और आज... विद्यालय का शुल्क लाए हो?
रोहन- नहीं सर।
अध्यापक- देखो रोहन! बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया, पढ़ो या ना पढ़ो मगर शुल्क जरूर लाकर दो।
रोहन - कल सहारा शुल्क जमा कर देंगे।
अध्यापक- छोटा मुंह बड़ी बात करते हो। अभी तो तुमने एक महीने का शुल्क भी जमा नहीं किया है।
रोहन- सॉरी सर ।
धन्यवाद।
संवाद
अध्यापक- रोहन ! चलो पहाड़ा सुनाओ।
रोहन - सर! मगर..
अध्यापक - अगर-मगर मत करो, तुम तो सागर का दाहिना हाथ हो उसे तो सब आता है।
रोहन - नहीं सर।
अध्यापक - अरे तुम जिस दिन सुना दोगे मैं उस दिन गंगा नहा लूंगा।
रोहन- सर याद नहीं है।
अध्यापक- तुम बात के धनी नहीं हो, कल तो कहा था कि हम कल सुना देंगे और आज... विद्यालय का शुल्क लाए हो?
रोहन- नहीं सर।
अध्यापक- देखो रोहन! बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया, पढ़ो या ना पढ़ो मगर शुल्क जरूर लाकर दो।
रोहन - कल सहारा शुल्क जमा कर देंगे।
अध्यापक- छोटा मुंह बड़ी बात करते हो। अभी तो तुमने एक महीने का शुल्क भी जमा नहीं किया है।
रोहन- सॉरी सर ।
धन्यवाद।