ek thinka kvitha ka summary

'एक तिनका' कविता के माध्यम से कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' लोगों को घमंड नहीं करने की सलाह देता है। कवि के अनुसार संसार में लोगों के अंदर घमंड कूट-कूटकर भरा होता है। घमंड में भरे हुए, वह किसी का भी अपमान करने से चूकते नहीं हैं। उनके लिए बस यही आवश्यक होता है कि वह सबसे बड़े हैं। कवि ने स्वयं के हुए अनुभव से लोगों को संदेश देने का प्रयास किया है। कवि अपने समय में बहुत घमंडी व्यक्ति हुआ करता था।  तिनके से मिले कष्ट से उसे ज्ञात होता है कि उसके घमंड को चूर करने के लिए एक तिनका बहुत है। वह इस घटना से सबक लेता है और घमंड को त्याग देता है।

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