Explain them all...
1. बिन गोपाल बेरिन भई कुन्ज।
तब ये लता लगति अति सुंदर।।
अब भई विषम ज्वाला की पुंज।।

​2. नव तरु किसलय मनहु कृसानू।
​काल निसा सम निसि ससि भानू।।
कुबलय विपिन कुंत बन सरिसा।
​बारिद तपन तेल जनु बरिसा।

​3. कहेउ राम वियोग तब सीता।
मैं कहँ सकल भय विगरीता।
नूतन किसलय मनहुं कृसानु।
​काल निसा सम निसि, ससि, भानू।
 

मित्र!
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पेड़ों के कोमल और नए पत्ते मुझे आग की तरह लग रहे हैं और काल रात्रि के सामान प्रतीत हो रहे हैं। चमकता हुआ चाँद सूर्य की भांति जला रहा है। कमल मुझे भालों की तरह लग रहे हैं और बादल ऐसे लग रहे हैं जैसे खौलता हुआ तेल हो।

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