" पर हाँ; संतोष,धीरज और कभी-कभी असीम सुख ज़रूर मिलता है और यही मैं चाहता भी हूँ।" प्रस्तुत पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

प्रिय विद्यार्थी ,

आपके प्रश्न का उत्तर है -
यह कथन मिठाईवाले ने रोहिणी से कहा है । इस पंक्ति का आशय है कि उसे बच्चों के लिए मुरली , खिलौने , मिठाई आदि बेचकर उसका भरण-पोषण नहीं होता है । कभी-कभी उसे खाने को भी नहीं मिलता था लेकिन उसके मन को संतुष्टि मिलती थी । कभी-कभी उसे एक असीम सुख की प्राप्ति होती थी और यही सब पाने की उसकी इच्छा भी थी ।

आभार ।

  • 3
What are you looking for?