पाठ दुख का अधिकार में लेखक ने दो भिन्न परिस्थितियों की तुलना की है । लेखक ने ऐसा क्यों

होगा ? क्या आप लेखक द्वारा दिए गए संदेश सहमत हैं ? कारण सहित बताइए ।

प्रिय विद्यार्थी,


उत्तर– इस कहानी में लेखक ने दो भिन्न परिस्थितियों की तुलना की है और लेखक ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह चीज़ें  समाज में फैले अंधविश्वासों और अमीर-गरीबी के भेदभाव को उजागर करती है। 
हां, हम लेखक द्वारा दिए गए संदेश से सहमत हैं क्योंकि
यह कहानी अमीरों के अमानवीय व्यवहार और गरीबों की विवशता को दर्शाती है। मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्राय: पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज़ा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाज़े खोल देती है,परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं। उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास पारिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
इस कहानी से स्पष्ट है कि दुख मनाने का अधिकार भी उनके पास है, जिनके पास पैसा हो। निर्धन व्यक्ति अपने दुख को अपने मन में ही रख लेते हैं। वह इसे प्रकट नहीं कर पाते।


सादर।
 

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