इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आसपास की ज़िंदगी में घटते हुए देख सकते हो ?

गीत के प्रथम चरण की पंक्तियों को हम अपने जीवन में घटित होते हुए देख सकते हैं। लेखक ने इन पंक्तियों में सब लोगों और मज़दूरों को सम्बोधित करते हुए इस प्रकार कहा है- अगर हम अपने जीवन में कंधे से कंधा मिलाकर चलें तो जीवन की हर कठिनाई मामूली प्रतीत होगी।

साथी हाथ बढ़ाना

एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।

साथी हाथ बढ़ाना।

हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया।

सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया।

फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें

हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें।

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