how do i know the gender of inanimate objects in hindi ?

वस्तुओं में लिंग का प्रयोग करना आवश्यक होता है। यदि ऐसा नहीं किया जाएगा तो हर वाक्य अटपटा लगेगा उदाहरण के लिए देखिए-
सीता नदा पर गया। कुर्सा जमीन पर रखा है। इमला खट्टा है।
 
अगर लिंग का प्रयोग न किया जाए तो यह स्थिति बनती है। शब्दों के निर्माण के साथ ही उनका लिंग निर्धारित होता है। यदि ऐसा नहीं किया जाए तो हर वस्तु पुरुष का बोध कराती है। जो उचित नहीं है। निर्जीव वस्तुओं में लिंग का निर्धारण भाषा के बोलने के कारण व व्याकरण के अनुसार किया जाता है।
दूसरे लिंग कैसे पहचाना जाता है कि यह स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग है। तो देखिए कैसे-
पुल्लिंग शब्द से ही स्त्रीलिंग शब्दों का निर्माण होता है। यदि इन नियमों को सही ढ़ग से समझ लिया जाए, तो आपको किसी तरह की समस्या नहीं होगी।
1. आनी/आणी प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग शब्द बनते हैं-नौकरानी
2. ई प्रत्यय लगाकर – पुत्री
3. आइन प्रत्यय लगाकर ­– पंडितायन
4. इया प्रत्यय लगाकर – बुढ़िया
5. नी प्रत्यय लगाकर – शेरनी
6. इन प्रत्यय लगाकर – पापि
7. इका प्रत्यय लगाकर – गायिका
8. इनी प्रत्यय लगाकर – स्वाभिमानी
9. आ प्रत्यय लगाकर – अध्यक्षा
10. कुछ संज्ञा शब्दों (नामों के साथ) के अंत में वान/मान के स्थान पर वती/मती लगाकर  – भगवती
11. कुछ तत्सम शब्दों में ता के स्थान पर त्री लगाने से  – रचयित्री
 
निर्जीव वस्तुओं का लिंग निर्धारण भाषा के बोलने की परंपरा व व्याकरण के अनुसार किया जाता है। आपने कई बार देखा होगा कि हम जब बोलना आरंभ करते हैं, तो तब हमें नहीं पता होता है कि कौन-सी वस्तु स्त्रीलिंग है व कौन-सी पुल्लिंग। अपने से बड़ों को यही बोलते हुए सुना होता है। अत: हम भी उसी प्रकार बोलने लगते हैं। इसे भाषा के बोलने की परंपरा कहा जाता है। वहीं किसी भाषा में उस भाषा से संबधित नियम होते हैं, जो व्याकरण के रुप में होता है। व्याकरण हमें बताता है कि किस तरह किसे क्या व क्यों बोलना चाहिए।
 
अब जैसे पहाड़ों के नाम हैं। प्राय: आपने ध्यान दिया होगा कि वे निर्जीव होते हैं। परन्तु इन्हें इनकी विशालता के कारण पुरूष माना गया है। आप कहीं भी चले जाएँ एक या दो स्थानों को छोड़कर पहाड़ों के नाम पुल्लिंग ही होते हैं। भारत में नदियों को स्त्री के रूप में देखा जाता है। अत: इनके नाम स्त्रीलिंग होते हैं। इसके साथ जिन शब्दों के अंत में आवट, इया, आहट, नी, ता, इया, इमा, ई, आस, त, री आदि लगे होते हैं। वे शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे- सजावट, लुटिया, गरमाहट, छलनी, सभ्यता, कालिमा, खिड़की, प्यास, ताकत, गठरी। इसके अलावा संस्कृत के आकारांत शब्द (जिनके अंत में आ की मात्रा लगा होता है।); जैसे- सभा, हिंसा, उकारांत शब्द (जिनके अंत में उ मात्रा लगी होती है।) ; जैसे- मृत्यु व धातु व इकारांत शब्द (जिनके अंत में इ की माज्ञा लगी होती है।); जैसे- अग्नि इत्यादि स्त्रीलिंग शब्द होते हैं। साथ में आपको जो नियम लिखकर दिए हैं, वे स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान है जैसा की ऊपर दिया गया है। ऊपर हमने आपको बताया था कि पुल्लिंग शब्दों से ही स्त्रीलिंग शब्दों का निर्माण होता है। यह नियम फिर सजीव वस्तु के लिए हो या निर्जीव वस्तु के लिए एक-सा ही होता है। ऊपर दिए प्रत्यय वही हैं । इनसे भी निर्जीव वस्तुओं का लिंग पहचाना भी जाता है व उन्हें स्त्रीलिंग में भी बदला जाता है। जैसे लोटा का लुटिया, गरम का गरमाहट, सजा का सजावट इत्यादि। इसके लिए अभ्यास की जरूरत होती है। यदि आप इन बातों का ध्यान में रखेगें, तो आपको कभी लिंग पहचानने में कठिनाई नहीं आएगी।

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