"Hui virta ke vabav ka sath sagae jhansi me " panknti ka aasaya spast karo

“हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झांसी” में इस पंक्ति में इस कविता की कवयित्री यह कहना चाहती हैं कि रानी लक्ष्मीबाई साक्षात वीरता का अवतार थीं। वह वीरता पराक्रम और शौर्य का प्रतीक थीं। उधर झांसी के राजा राजसी वैभव से संपन्न थे और वैभव प्रतीक थे। रानी लक्ष्मीबाई की सगाई झांसी के राजा से हुई थी, इस कारण उन्होंने वीरता की प्रतीक रानी लक्ष्मीबाई को वैभव के प्रतीक झांसी के राजा से सगाई का उदाहरण प्रस्तुत किया है।

 

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