३) व्याख्या   करे I

अज्ञान का सामना करो , माया और भ्रम से संघर्ष करो, पलायन  नहीं I

नमस्कार मित्र,

अज्ञान का सामना करो , माया और भ्रम से संघर्ष करो, पलायन नहीं।

इसका तात्पर्य है कि मनुष्य सदैव को ज्ञानी मानता है। परन्तु असल में उसे ज्ञान के विषय में कोई जानकारी नहीं होती है। जिसे वह ज्ञान सोचता है, वही अज्ञान होता है। हमें चाहिए कि अज्ञान का सामना करते हुए, उसे समझने का प्रयास करें तभी हम ज्ञानी बन पाएँगे। उसी तरह माया और भ्रम हमेशा मनुष्य को ज्ञान के रास्ते से विचलित करते हैं। माया उसे मोहित करती है और भ्रम उसे भ्रमित करता है। परन्तु वही मनुष्य सही ज्ञान के प्रकाश को देख पाता है, जो इनसे संघर्ष करता है। जिन्होंने इन्हें अपने वश में कर लिया, उसने अपनी इंद्रियों को जीत लिया है। इनसे घबराकर जो अपनी राह से अलग हो गया, वह जीवन में इनके हाथों की कठपुतली बनकर घुमता रहता है। पलायन इनसे पीछा छुड़ाने का नाम नहीं है। पलायन हार का नाम है।

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