pashu pakshiyon ki bhasha par nibandh?

मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।

भाषा के कारण ही हम एक दूसरे से बात कर सकते हैं। सभी जीवों की भाषा अलग-अलग होती है। इस प्रकार पशु-पक्षियों की भाषा भी होती है। अपनी भाषा के माध्यम से वह अपनी बातों और भावों को सामने वाले को बताते हैं। वह मनुष्य की भाषा नहीं समझते अथवा मनुष्य उनकी भाषा समझ नहीं सकता। किंतु पशु-पक्षियों को प्रेम की भाषा समझने में देर नहीं लगती है। स्नेह, ममता और वात्सल्य की भाषा पशु-पक्षियों को समझ में आती है। चिड़िया चहचहा कर अपने होने का संदेश देती है। अपनी भाषा में अन्य चिड़ियों से बात करती है। उसी प्रकार बिल्ली, कुत्ता, शेर इत्यादि जानवरों की भाषा अलग-अलग है। सबकी अपनी भाषा है। पशु पक्षी जो भाषा समझते हैं, वह प्रेम की भाषा है। मनुष्य जब अस्तित्व में आया था, तो सबसे पहले उसके मित्र यही  पशु-पक्षी थे। तब भाषा का आविष्कार नहीं हुआ था, किंतु पशु पक्षी उस समय भी प्रेम की भाषा समझते थे। आज भी पशु पक्षी प्रेम की भाषा को समझते हैं। इशारों को समझते हैं और कहीं ना कहीं इस भाषा के माध्यम से मनुष्य के साथ जुड़े हुए हैं।​

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