please give meaning of doha on:
'chah gayi chinta miti manuaa beparvah|
ginko kuch nahi cahiye , ve sahan ke sah ||
कवि कहता है कि जिस मनुष्य के मन से चाह समाप्त हो जाती है, उसकी चिंता स्वयं ही मिट जाती है। उसके बाद उसका बन बेपरवाह हो जाता है।
जिन लोगों के मन से हर प्रकार की चाह समाप्त हो जाती है और उन्हें कुछ नहीं चाहिए होता है, सही मायने में वही राजाओँ के राजा कहलाते हैं।
जिन लोगों के मन से हर प्रकार की चाह समाप्त हो जाती है और उन्हें कुछ नहीं चाहिए होता है, सही मायने में वही राजाओँ के राजा कहलाते हैं।