Sahitya sagar padhya ( poem - sur ke pad by surdas(

उत्तर :- 

(क) कृष्ण माखन खाते हुए अपने नेत्रों को लाल करते हुए रुओ रहे हैं, अपनी भौंहों को टेढ़ी करते हैं और बार-बार जम्हाई लेते हैं । कभी वे घुटनों के बल चलते हुए अपने पूरे शरीर को गंदा कर लेते हैं, तो कभी अपने बालों को खींचने लगते हैं । ये सभी भाव उनके रूठने को अभिव्यक्त करते हैं ।

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