sangeet bina jeevan par anuched likhein

संगीत जीवन का राग हैं। यदि संगीत नहीं है, तो जीवन नहीं है। मनुष्य निराशा के समय में संगीत का ही आश्रय लेता है और यह इसे जीने की प्रेरणा देता है। प्रसन्नता या किसी विवाहोत्सव में तो संगीत जान डाल देता है। जो व्यक्ति संगीत से नफ़रत करता है, उसका जीवन रंगहीन और निराशा से भरा होता है। संगीत ने कई दुखी ह्दयों को संताप से मुक्त किया है। संगीत विविध रूपों में हमारे आस-पास बिखरा पड़ा है। पक्षी का सुंदर करवल हो या पानी के बहने का स्वर हर में संगीत का ही अंश विद्यमान है। प्राचीनकाल से ही मनुष्य इसके मोहपाश में बंधा हुआ है और आज भी यह मोह वैसे का वैसा है। प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में तो इसका उल्लेख मिलता है। इंद्र की सभा में बड़े-बड़े संगीत ज्ञाता गंर्धव रहते थे। जिनका काम था इंद्र को अपने संगीत से प्रसन्न करना। कितने ही संस्कृत नाटकों में इनका उल्लेख भी प्राप्त होता है कि राजाओं द्वारा संगीत को विशेष प्रोत्साहन दिया जाता था। उनकी सभाओं में गायकों, नृत्यांगनाओं तथा वादकों को विशेष सम्मान प्राप्त था। आज के समय में राजाओं की सभा न हो परन्तु आज भी गायकों, नृत्यांगनाओं तथा वादकों को विशेष सम्मान प्राप्त है। संसारभर में लोग संगीत के जादू से मोहित हैं। आने वाले अनेक युगों तक यह अपना जादू इसी प्रकार बिखेरता रहेगा।

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