sharirik Shiksha aur Yog par anuched likhiye
मित्र
विद्यार्थी के जीवन में योग शिक्षा – एक अच्छा नागरिक ही स्वस्थ समाज का निर्माण करता है । हमारा मन तभी स्वस्थ रहता है जब हमारा स्वास्थ्य अच्छा होता है। स्वस्थ जीवन ही मनुष्य के सुख का आधार है। आज के आधुनिक युग में मनुष्य की जिन्दगी भाग-दौड़ वाली है। छात्र जीवन से ही योग आरंभ कर देना चाहिए। इससे अभ्यास को बल मिलेगा। योग से स्वास्थ्य ठीक रहता है। योग से ध्यान लगता है और मन प्रसन्न रहता है। पढ़ने के लिए एकाग्रता और ध्यान बहुत आवश्यक है। योग से मन में एकाग्रता और विचारशीलता बढ़ती है। एक संतुलित मन और स्वस्थ शरीर ही अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकता है। शिक्षा के साथ योग भी होना चाहिए। शिक्षा से बुद्धि और मन का विकास होता है। योग से मन और स्वास्थ्य दोनों में बराबर का संतुलन रहता है। एक संतुलित मन और स्वस्थ शरीर ही अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकता है। योग करने से हम अपने मन को ठीक प्रकार से काम में लगा सकते हैं। शिक्षा के लिए समग्र चेतना की आवश्यकता होती है, जो योग करने से मिलती है।
विद्यार्थी के जीवन में योग शिक्षा – एक अच्छा नागरिक ही स्वस्थ समाज का निर्माण करता है । हमारा मन तभी स्वस्थ रहता है जब हमारा स्वास्थ्य अच्छा होता है। स्वस्थ जीवन ही मनुष्य के सुख का आधार है। आज के आधुनिक युग में मनुष्य की जिन्दगी भाग-दौड़ वाली है। छात्र जीवन से ही योग आरंभ कर देना चाहिए। इससे अभ्यास को बल मिलेगा। योग से स्वास्थ्य ठीक रहता है। योग से ध्यान लगता है और मन प्रसन्न रहता है। पढ़ने के लिए एकाग्रता और ध्यान बहुत आवश्यक है। योग से मन में एकाग्रता और विचारशीलता बढ़ती है। एक संतुलित मन और स्वस्थ शरीर ही अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकता है। शिक्षा के साथ योग भी होना चाहिए। शिक्षा से बुद्धि और मन का विकास होता है। योग से मन और स्वास्थ्य दोनों में बराबर का संतुलन रहता है। एक संतुलित मन और स्वस्थ शरीर ही अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकता है। योग करने से हम अपने मन को ठीक प्रकार से काम में लगा सकते हैं। शिक्षा के लिए समग्र चेतना की आवश्यकता होती है, जो योग करने से मिलती है।