Sthayi bhav sambandhit Vivad kya hai

मित्र, आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। तथापि हम  रस और उसके भाव  के बारे में अपने विचार दे रहे हैं।
  रस का आधार उसका भाव होता है। भाव दो प्रकार के होते हैं।
1. स्थायी भाव- यह स्थिर और सार्वभौम होतेे हैं। पूरे पाठ में यह स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं।
 संचारी भाव-  इनकी उत्पत्ति पानी के बुलबुलों के समान होती है। यह भाव परिस्थिति अनुसार आते और जाते रहतेे हैं।
​​​​​​रस एवं उसे स्थाई भाव 
श्रृंगार ​रस -  रति/प्रेम - निसिदिन बरसत नयन हमारे 
हास्य रस -  हास्य -  नेता अखरोट से बोले किसमिस लाल, हुज़ूर हल कीजिये मेरा एक सवाल
करुण रस - शोक -  मेरे हृदय के हर्ष हा, अभिमन्यु अब   तू है कहाँ  
वीर रस - उत्साह - खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली  रानी थी।
रौद्र रस - क्रोध -  अस कहि रघुपति चाप  चढ़ावा
इनके उदाहरण आप हमारी वेबसाइट  से देख सकते हैं।
भयानक रस - भय  -
वीभत्स रस - जुगुप्सा/घृणा -
अद्भुत रस - विस्मय/आश्चर्य -
शांत रस    - वैराग्य 
वात्सल्य रस- वात्सल्य 
भक्ति रस  - भगवद् विषयक  

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