tll the summary of this ch....

नागराजन के मामा जी ने सिंगापुर से उसके लिए एक टिकट-अलबम भिजवाया था। राजप्पा उसके टिकट-अलबम को देखकर खुश नहीं था। नागराजन उसका अच्छा मित्र था। परन्तु जबसे नागराजन का टिकट-अलबम आया था, तबसे सबने राजप्पा के टिकट-अलबम को देखना बंद कर दिया था। वे सब राजप्पा के टिकट-अलबम का मज़ाक उड़ाते थे। राजप्पा इस अपमान से दुखी होकर नागराजन का टिकट-अलबम चोरी कर उसे नष्ट कर देता है। उसे बाद में अपनी गलती पर बहुत पछतावा भी होता है। अपने किए की सज़ा के तौर पर वह स्वयं के टिकट-अलबम को नागराजन को सौंप देता है। उसकी एक गलती के कारण वह और नागराजन दोनों दुखी हो जाते हैं। बदले की भावना मनुष्य को नीचे गिरा देती है। अत: इस कहानी से हमें सबक लेना चाहिए।

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