Vakh meaning of class 9
1
रस्सी कच्चे धागे की खींच रही मैं नाव।
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।
पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।
जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।
2
खा खा कर कुछ पाएगा नहीं।
न खाकर बनेगा अहंकारी।
सम खा तभी होगा समभावी,
खुलेगी साँकल बन्द द्वार की।
3
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।
सुषुम–सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!
ज़ेब टटोली, कौड़ी ना पाई।
माँझी को दूँ, क्या उतराई?