what is vikarak tatva
मित्र यह संज्ञा के वे भाग हैं, जिनमें विकार उत्पन्न होता है या ये विकार उत्पन्न कर देते हैं। अर्थात जिनमें बदलाव लाया जा सकता है या जो बदलाव ला सकते हैं। संज्ञा के विकारक तत्व हैं- लिंग, वचन, कारक। किसी वाक्य में इन तीनों तत्वों के कारण ही विकार उत्पन्न होता है।