NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for क्या निराश हुआ जाए are extremely popular among class 8 students for Hindi क्या निराश हुआ जाए Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of class 8 Hindi Chapter 7 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class 8 Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

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Question 1:

लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं हैं। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?

Answer:

यहाँ लेखक का आशावादी व्यक्तित्व सामने आता है। जहाँ तक लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन किया है, लेखक ने धोखा भी खाया है। पर उसका मानना है कि अगर वो इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए विश्वास करना बेहद कष्टकारी होगा और इसके साथ-साथ ये उन लोगों पर अंगुली उठाएगा जो आज भी ईमानदारी व मनुष्यता के सजीव उदाहरण हैं। यहीं लेखक का आशावादी होना उजागर होता है और उन्हीं लोगों का सम्मान करते हुए उनकी उपेक्षा नहीं करना चाहता जिन्होनें कठिन समय में उसकी मदद की है। à¤¸à¤¹à¥€ मायने में यह बात एकदम उचित à¤¹à¥ˆ और यही कारण है कि वो अभी भी निराश नहीं है।

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Question 2:

समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और टेलिविजन पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी-सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।

Answer:

इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने अनुभवों के आधार पर दें।



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Question 3:

लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों।

Answer:

इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने अनुभवों के आधार पर दें।

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Question 1:

दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

Answer:

लेखक के अनुसार, दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात नहीं होती है। परन्तु, इसमें बुराई तब सम्मिलित हो जाती है जब हम किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लेते है। लेखक के अनुसार यह ग़लत बात है। हमारा दूसरों के दोषोद्घाटन को अपना कर्त्तव्य मान लेना सही नहीं है। हम यह नहीं समझते कि बुराई समान रूप से हम सबमें विद्यमान है। यह भूलकर हम किसी की बुराई में रस लेना आरम्भ कर देते हैं और अपना मनोरंजन करने लग जाते हैं। परन्तु, हम उसके द्वारा की गई अच्छाई को तो उजागर ही नहीं करते। हम उसकी बुराईयों का उतना रस नहीं लेंगे अगर हम उसके व्यक्तित्व के अच्छे पहलुओं की तरफ़ देखें। उसके द्वारा किये गये अच्छे कार्यों को सराहें तों उसके लिए और समाज के लिए यह उतना ही लाभकारी  होगा। परन्तु, बुरा तब होता है जब हम उसकी बुराई में तो रस ले लेते हैं पर अच्छाई को भुला देते हैं।

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Question 2:

आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल 'दोषों का पर्दाफ़ाश' कर रहे हैं। इस प्रकार समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए।

Answer:

टीवी चैनल व समाचार पत्रों द्वारा जो 'दोषों का पर्दाफ़ाश' किया जा रहा है वो पहले किसी सीमा तक सही हुआ करता था। परन्तु, आज टीवी चैनलों और समाचार पत्रों की भरमार के कारण उनके बीच में जनमें श्रेष्ठ-दिखाने-की-होड़ ने इसे धंधा बना दिया है। इससे लोग दोनों पक्षों की सच्चाई जाने बिना ही अपनी तरफ़ से दोषारोपण आरम्भ कर देते हैं। इस बात को तनिक भी नहीं सोचते कि इससे किसी के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है। समाचार पत्र और चैनल सिर्फ अपनी T.R.P. à¤•à¤¾ ही ध्यान रखते हैं। सच तो जैसे कुछ होता ही नहीं है। जैसे आरूषि हत्याकांड में आरूषि के पिता पर हत्या का आरोप लगाया गया। मीडिया ने भी इस विषय को खूब भुनाया परन्तु अंत में वो निर्दोंष पाये गये। à¤œà¤¿à¤¤à¤¨à¥€ बड़ी हानि तलवार दंपत्ति को हुई, उसका कोई हिसाब नहीं है पर समाचार पत्रों व टीवी चैनलों के लिए यह T.R.P. बढ़ाने का एक साधन मात्र था, सच्चाई सामने लाने का नहीं। दूसरा उदाहरण एक स्कूल शिक्षिका पर स्कूल की लड़कियों को देह-व्यापार में डालने का आरोप लगाया गया। एक न्यूज़ चैनल द्वारा इसका पर्दाफ़ाश किया गया था परन्तु जब सच सामने आया तो पाया गया कि वो बिल्कुल निर्दोष थी। क्या उस चैनल द्वारा किया गया कार्य उचित था? जो भी हो, इस से चैनलों की सार्थकता पर सवाल ज़रूर उठता है।

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Question 1:

निम्नलिखित  के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं ? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे - "ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।" परिणाम – भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
1. "सच्चाई केवल भीरू और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।"  ……………………….
2. "झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।"  ……………………….
3. "हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।"       ………………………

Answer:

1. लोगों स्वार्थी बनेंगे
2. अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का अहित करेंगे
3. लोगों में अविश्वास की भावना बढ़ेगी

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Question 1:

आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं। यदि दोनों बस-यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।

Answer:

इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने अनुभवों के आधार पर दें।

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Question 1:

लेखक ने लेख का शीर्षक 'क्या निराश हुआ जाए' क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?

Answer:

लेखक ने इस लेख का शीर्षक 'क्या निराश हुआ जाए' उचित रखा है क्योंकि यह उस सत्य को उजागर करता है जो हम अपने आसपास घटते देखते रहते हैं। अगर हम एक-दो बार धोखा खाने पर यही सोचते रहें कि इस संसार में ईमानदार लोगों की कमी हो गयी है तो यह सही नहीं होगा। आज भी ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपनी ईमानदारी को बरकरार रखा है। लेखक ने इसी आधार पर लेख का शीर्षक 'क्या निराश हुआ जाए' रखा है। यही कारण है कि लेखक कहता है "ठगा में भी गया हूँ, धोखा मैनें भी खाया है। परन्तु, ऐसी घटनाएँ भी मिल जाती हैं जब लोगों ने अकारण ही सहायता भी की है, जिससे मैं अपने को ढाँढस देता हूँ।"

यदि लेख का शीर्षक ''उजाले की ओर'' होता तो शायद लेखक की बात को और बल मिलता।



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Question 2:

यदि 'क्या निराश हुआ जाए' के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। -, । . ! ? . ;  -  , .... ।

● ''आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।'' क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

Answer:

यदि किसी विराम चिन्ह का प्रयोग करने हेतु कहा जाए तो मैं शीर्षक के अंत में प्रश्नवाचक (?) चिन्ह लगाना चाहूँगी। मैं यह चिन्ह इसलिए लगाना चाहूँगी कि मैं उन लोगों से प्रश्न कर सकूँ जो कहते हैं कि अब ईमानदारी और इंसानियत खत्म हो गई है। क्या उनके जीवन में कभी कोई ऐसी घटना नहीं घटी होगी जब किसी ने उनकी सहायता बिना किसी स्वार्थ के की हो? सहायता किसी को मात्र पैसे या वस्तु दे कर नहीं की जा सकती। अपितु सही समय पर सही वस्तु दे कर भी सहायता की जा सकती है। जैसे लेखक ने लिखा कि बस के खराब होने पर उनके बच्चे भूख व प्यास से बिलख़ रहे थे, पर वो कुछ भी नहीं कर पा रहे थे। अगर इस बात पर ध्यान दिया जाए तो क्या लेखक के पास पैसे नहीं थे? उनके पास पैसे अवश्य थे पर उनकी बस ऐसे स्थान पर खराब हो गई थी जहाँ भोजन व पानी नहीं मिल सकता था। यही कारण है कि कंडक्टर द्वारा लाया गया दूध उनके लिए उस समय महत्वपूर्ण था। इसका तात्पर्य यह है कि छोटी-छोटी चीजों की मदद भी सहायता कही जाती है। अतः  कंडक्टर द्वारा किया गया कार्य इंसानियत हीं कहलाएगा क्योंकि उसने यह कार्य बिना किसी स्वार्थ के किया।

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Question 1:

"हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।"
आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।

Answer:

हमारे महान मनिषियों ने एक आदर्श और बुराइयों से रहित भारत की कल्पना की थी। एक ऐसा भारत जहाँ लोगों में आपसी भाईचारे तथा परोपकार की भावना सर्वोपरि हो। भारत महान ऋषि-मुनियों का देश रहा है। यहाँ के मनिषियों ने अपने त्याग से लोगों को नया जीवन दिया है। हमें भी उनसे प्रेरित होकर ऐसे कार्यों के लिए अग्रसर होना चाहिए।

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Question 2:

"हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।"
आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? लिखिए।

Answer:

हमारे सपनों का भारत हिंसा तथा बुराइयों से रहित होना चाहिए। लोगों में आपसी संबंध अच्छे होने चाहिए।  लोग एक दूसरे की सहायता करने को तत्पर रहें। इस प्रकार अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही हम अपने सपनो के भारत का निर्माण कर सकते हैं।

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Question 1:

दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-द्वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैस - चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।

'और' के साथ आए शब्दों के जोड़े को 'और' हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।

Answer:

1

सुख और दुख

सुख-दुख

2

भूख और प्यास

भूख-प्यास

3

हँसना और रोना

हँसना-रोना

4

आते और जाते

आते-जाते

5

राजा और रानी

राजा-रानी

6

चाचा और चाची

चाचा-चाची

7

सच्चा और झूठा

सच्चा-झूठा

8

पाना और खोना

पाना-खोना

9

पाप और पुण्य

पाप-पुण्य

10

स्त्री और पुरूष

स्त्री-पुरूष

11

राम और सीता

राम-सीता

12

आना और जाना

आना-जाना

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Question 2:

पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।

Answer:

व्यक्तिवाचक संज्ञा: रबींद्रनाथ टैगोर, मदनमोहन मालवीय, तिलक, महात्मा गाँधी आदि।

जातिवाचक संज्ञा: बस, यात्री, मनुष्य, ड्राइवर, कंडक्टर, हिन्दू, मुस्लिम, आर्य, द्रविड़, पति, पत्नि आदि।

भाववाचक संज्ञा: ईमानदारी, सच्चाई, झूठ, चोर, डकैत आदि।



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