essay on राष्टृ निरमाण में छत्रों का योगदान please?

विद्यार्थी राष्ट्र का आने वाला भविष्य हैं। राष्ट्र निर्माण में वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक राष्ट्र का निर्माण बच्चों तथा वृद्ध लोगों के द्वारा नहीं हो सकता। बच्चे अबोध होते हैं। अतः निर्माण कार्यों में उनका योगदान नगण्य ही रहता है। वृद्ध लोग अनुभवी होते हैं परन्तु शारीरिक रूप से कमज़ोर हो जाने के कारण उनकी भागीदारी कम हो जाती है। वे मार्ग तो दिखा सकते हैं परन्तु उनकी गति पहले की अपेक्षा कम होती है। राष्ट्र के विकास और प्रगति के लिए मुख्य कड़ी विद्यार्थी होते हैं। ये आगे चलकर राष्ट्र की बागडोर अपने हाथ में संभालते हैं। उनकी ऊर्जा, उनके सपने तथा उनका परिश्रम राष्ट्र को प्रभावित करते हैं। वे जितनी तेज़ी से विकास करते हैं राष्ट्र उतनी तेज़ी से विकास करता जाता है। राष्ट्र का भविष्य उनके उठाए हर कदम निर्भर करता है। कई बार प्रश्न उठता है कि एक विद्यार्थी कैसे राष्ट्र का निर्माण कर सकता है, तो इसका उत्तर है कि यदि एक विद्यार्थी शिक्षित, कर्मठ, दृढ़ निश्चयी, स्वप्न देखने वाला तथा उन्हें पूरा करने के लिए प्रयासरत्त होता है, तो उसके द्वारा अपनी प्रगति के लिए उठाए हर कदम राष्ट्र को प्रभावित करते हैं। उसकी तरक्की देश की तरक्की बन जाती है। यदि वह एक व्यवसाय आरंभ करता है, तो वह देश के कई लोगों की रोजी-रोटी का प्रबंध करता है। इससे देश में बेरोज़गारी तथा गरीबी की समस्या कम होती है। उसका कमाया धन देश की आर्थिक स्थिति को दृढ़ करता है। देश के लोगों के पास धन आता है और उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित होता है। इस तरह एक विद्यार्थी राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए जोर दिया जाता है कि एक राष्ट्र का विद्यार्थी शिक्षित हो क्योंकि शिक्षा उसकी बौद्धिक क्षमता विकास करती है। उसका लक्ष्य पाने में सहायता करती है और उसे सही मार्ग दिखाती है।

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