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Kabir ki sakhi
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उत्तर- कवि ने बाहर के अंधेरे को मिटाने की बात की है। क्योंकि बाहर का अंधेरा भीतर के अंधेरे से ज्यादा घना होता है। बाहर के अंधेरे से तात्पर्य समाज की कुरीतियों और समानताएं तथा लोगों में भेदभाव, ईर्ष्या इन सब के बारे में है जबकि मनुष्य के भीतर का अंधेरा उसके अंदर इन कुरीतियों से बढ़ता जा रहा है। यह अंधेरा तभी मिटेगा जब मनुष्य इन कुरीतियों को छोड़ कर सबको समान नजरों से देखेगा तथा समाज में लोगों को समानता की भावना के बारे में बताएगा।