i whant to know about the lesson jab sinema ne bolne huyi

'जब सिनेमा ने बोलना सीखा' पाठ में लेखक प्रदीप तिवारी ने भारतीय सिनेमा जगत की महत्वपूर्ण उपलब्धी का उल्लेख किया है। यह उपलब्धी थी, जब हिन्दी सिनेमा की पहली बोलती फिल्म बनाई गई थी। उस फ़िल्म का नाम 'आलम आरा' था। आलम आरा से पहले जितनी भी फ़िल्में बनी थीं, वे सब मूक फ़िल्में (बिना आवाज़) थीं। इस फ़िल्म ने हिन्दी सिनेमा जगत को नई दिशा प्रदान की थी। इसके निर्माता का नाम अर्देशिर एम. ईरानी था। यह 14 मार्च 1931 में प्रदर्शित की गई थी। इस फ़िल्म के आते ही आठ सप्ताह तक यह फ़िल्म हाऊसफुल रही थी। लोगों ने इस फ़िल्म का दिल से स्वागत किया। इसके पश्चात तो जैसे फ़िल्म जगत ने नई राह पकड़ ली। निर्माता अर्देशिर एम. ईरानी के योगदान के कारण ही हिन्दी सिनेमा जगत ऊँचाइयों को छू पाया है। लेखक इस पाठ के माध्यम से हमारे सिनेमा जगत के इतिहास को हमारे सम्मुख रखना चाहते हैं। साथ ही वह सिनेमा जगत के विकास का वर्णन भी करते हैं।

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