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प्रश्न 8. (क) निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उनमें निहित रस पहचानकर लिखिएः
(i) उपयुक्त उस खल को न यद्यपि मृत्यु का भी दंड है,
पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दंड और प्रचंड है।
अतएव कल उस नीच को रण-मध्य जो मारुँ न मैं,
तो सत्य कहता हूँ कभई शास्त्रास्त्र धारूँ न मैं
(ii) वह आता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता
पेट पीठ दोनों मिलकर है एक,
चल रहा लकुटिया टेक
(ख) (i) श्रृंगार रस का स्थायी भाव लिखिए।
(ii) निम्नलिखित काव्यांश में स्थायी भाव क्या है?
कब दूबै दाँत दूध के देखो, कब तोतैं, मुख बचन झरैं।
कब नंदहिं बाबा कहि बोले, कब जननी कहि मोहिं ररै।
मित्र!
हम एक बार में एक प्रश्न का ही उत्तर दे सकते हैं। आप अपने प्रश्न पुन: पूछ सकते हैं।
1- उस मृत्यु से बढ़कर ना जग में दंड और प्रचंड है- रौद्र रस
2- दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता - करुण रस
हम एक बार में एक प्रश्न का ही उत्तर दे सकते हैं। आप अपने प्रश्न पुन: पूछ सकते हैं।
1- उस मृत्यु से बढ़कर ना जग में दंड और प्रचंड है- रौद्र रस
2- दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता - करुण रस